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Punjab News: किसानों और पुलिस के बीच टकराव, भूमि अधिग्रहण को लेकर फेंके गए आंसू गैस के गोले 

Punjab News: पंजाब के दुन्नेवाला गांव में भूमि अधिग्रहण को लेकर किसानों और पुलिस के बीच जबरदस्त टकराव हुआ है। यह संघर्ष उस समय हुआ जब किसानों ने उचित मुआवजे की मांग को लेकर भूमि का कब्जा करने का प्रयास किया, जो कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा भारतमाला परियोजना के तहत अधिग्रहित की गई थी। पुलिस ने स्थिति को काबू करने के लिए आंसू गैस के गोले फेंके, ताकि किसानों को इलाके से बाहर किया जा सके। हालांकि, स्थिति अब भी तनावपूर्ण बनी हुई है।

भूमि अधिग्रहण और मुआवजे की मांग

पिछले गुरुवार, जिला प्रशासन ने दुन्नेवाला , शेरगढ़ और भगवानगढ़ गांवों में लगभग आठ किलोमीटर भूमि का कब्जा कर लिया था। इस भूमि का अधिग्रहण भारतमाला परियोजना के तहत किया गया, जो भारतीय सरकार द्वारा विकसित किया जा रहा है। किसानों का कहना है कि प्रशासन द्वारा उन्हें भूमि के लिए जो मुआवजा दिया जा रहा है, वह अपर्याप्त है और यह उनकी उम्मीदों से काफी कम है।

किसानों का आरोप है कि प्रशासन उन्हें प्रति एकड़ 47 लाख रुपये मुआवजा दे रहा है, जबकि वे 70 लाख रुपये प्रति एकड़ मुआवजे की मांग कर रहे हैं। उनका यह भी कहना है कि मुआवजा राशि को भूमि की वास्तविक कीमत और उनके नुकसान के हिसाब से तय किया जाना चाहिए।

Punjab News: किसानों और पुलिस के बीच टकराव, भूमि अधिग्रहण को लेकर फेंके गए आंसू गैस के गोले 

किसानों का भूमि पर कब्जा करने का प्रयास

आज, किसानों का एक बड़ा समूह दुन्नेवाला  गांव में इकट्ठा हुआ, जहां वे भूमि का कब्जा लेने के लिए प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। किसानों का कहना है कि यदि उन्हें उचित मुआवजा नहीं दिया जाता है, तो वे इस भूमि पर अपना कब्जा लेने के लिए मजबूर होंगे। उनकी मांग है कि प्रशासन द्वारा दिया गया मुआवजा पूरी तरह से उनके नुकसान की भरपाई नहीं कर पा रहा है और इसे बढ़ाया जाना चाहिए।

किसान संगठन और स्थानीय नेता इस मुद्दे पर प्रशासन से बातचीत करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन का कहना है कि मुआवजा की राशि पहले ही तय की जा चुकी है और इसे बढ़ाना संभव नहीं है। इससे किसान समुदाय में असंतोष फैल गया है और वे अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतर आए हैं।

पुलिस का हस्तक्षेप और आंसू गैस का उपयोग

किसान जब भूमि पर कब्जा करने के लिए बढ़ रहे थे, तो प्रशासन ने उन्हें रोकने की कोशिश की। पुलिस ने किसानों को खदेड़ने और उन्हें नियंत्रण में लाने के लिए आंसू गैस के गोले फेंके। पुलिस का कहना था कि यह कार्रवाई कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए की गई थी, क्योंकि किसानों की बढ़ती भीड़ को नियंत्रित करना मुश्किल हो रहा था।

हालांकि, पुलिस द्वारा आंसू गैस का इस्तेमाल करने से स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई। किसानों का आरोप है कि प्रशासन और पुलिस उनकी जायज मांगों को नजरअंदाज कर रहे हैं, और उन्हें शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखने का अवसर नहीं दिया जा रहा है।

किसानों का संघर्ष और प्रशासन की नीतियां

किसानों का कहना है कि भूमि अधिग्रहण के दौरान उनका शोषण किया गया है और उन्हें जो मुआवजा दिया जा रहा है, वह उनकी जमीन की वास्तविक कीमत के हिसाब से बहुत कम है। वे यह भी आरोप लगा रहे हैं कि सरकार द्वारा लागू की जा रही भूमि अधिग्रहण नीतियों में किसानों के हितों की अनदेखी की जा रही है।

किसानों का कहना है कि उनके जीवन और आजीविका के लिए यह भूमि महत्वपूर्ण है, और जब तक उन्हें उचित मुआवजा नहीं मिलता, तब तक वे पीछे नहीं हटेंगे। वे भूमि अधिग्रहण के खिलाफ अपने संघर्ष को जारी रखने की धमकी दे रहे हैं और यह भी कह रहे हैं कि वे अन्य गांवों में भी इस मुद्दे को उठाएंगे।

प्रशासन का दृष्टिकोण

दूसरी ओर, जिला प्रशासन का कहना है कि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी तरह से कानूनी है और मुआवजा राशि निर्धारित मानदंडों के अनुसार तय की गई है। प्रशासन का यह भी कहना है कि वे किसानों के साथ संवाद करने के लिए तैयार हैं, लेकिन कानून का उल्लंघन नहीं होने देंगे। प्रशासन का कहना है कि भूमि अधिग्रहण परियोजना सार्वजनिक भलाई के लिए की जा रही है, और इसे रोका नहीं जा सकता।

प्रशासन का मानना है कि यदि मुआवजे की राशि बढ़ाई जाती है, तो यह अन्य परियोजनाओं में भी असंतोष पैदा कर सकता है और भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में रुकावट डाल सकता है। इसलिए, उन्होंने किसानों से आग्रह किया है कि वे शांतिपूर्ण तरीके से अपने मुद्दों को हल करें और कानून का उल्लंघन न करें।

अधिग्रहण परियोजना और इसके लाभ

भारतमाला परियोजना सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसके तहत राष्ट्रीय राजमार्गों और सड़क मार्गों का विकास किया जा रहा है। इस परियोजना का उद्देश्य देश भर में यातायात को बेहतर बनाना, समय की बचत करना और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देना है। हालांकि, इस परियोजना के तहत भूमि अधिग्रहण के कारण किसानों को अपनी भूमि से हाथ धोना पड़ रहा है, जिसके कारण उन्हें पर्याप्त मुआवजे की मांग उठानी पड़ रही है।

भारतमाला परियोजना के तहत हो रहे अधिग्रहण से बुनियादी ढांचे का विकास होगा, जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। लेकिन किसानों के लिए यह एक कठिन दौर है, क्योंकि उनकी आजीविका सीधे उनकी भूमि पर निर्भर है।

स्थिति का समाधान

किसानों और प्रशासन के बीच समझौते का रास्ता निकालना आवश्यक है। दोनों पक्षों को इस विवाद को शांतिपूर्वक हल करने के लिए एक मंच पर आना होगा, ताकि भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया भी जारी रह सके और किसानों को उनका उचित मुआवजा भी मिल सके।

अधिकारी इस मामले को लेकर गंभीर हैं और बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन यह देखना होगा कि क्या किसान अपनी मांगों पर प्रशासन से सहमत हो सकते हैं। स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है और आगे की घटनाएं इस विवाद के समाधान पर निर्भर करेंगी।

किसानों और प्रशासन के बीच भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर टकराव जारी है, और यह स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। सरकार को चाहिए कि वह किसानों के हितों का ध्यान रखते हुए उचित समाधान निकाले, ताकि विकास के साथ-साथ किसानों का भविष्य भी सुरक्षित रहे।

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